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इसलिए मैं मौन हूँ

मैं गूंगा नहीं,
बस मौन हूँ
होश आने पर
पूछ लेना वक्त से ,
मैं कौन हूँ
क्यों मौन हूँ ?

मेरी कुलबुलाती चुप्पी
छिपकर ताकती,
गर्भ में काल के l
जहरीले घूँट पीकर
मोड़ देंगे रुख
हर सवाल के l

मेरे तरकश भरे है
विष बुझे,
नुकीले औजारों से l
गलती से भी
न टकरा जाना
धधकते अंगारों से l

बादलों से कह दो
बहुत उड़ चुके परछाई बन,
छोटी सी झील में l
उन्मुक्त होने का वक्त
आ गया अंधड़ के साथ,
बरसना है हजारों मील में l

सन्नाटा इतिहास की
इबारत बन
बता देगा, मै कौन हूँ
तुम्हारे हर प्रश्न के
जबाब मिलेंगे
इसलिए मै मौन हूँ
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इंसानी फितरत

मच्छर