गौ माता को छोड़ सड़क तू, बेफिक्री से जीता है l वह भूखी प्यासी भटक रही, गौमूत्र तू जिसका पीता है l दूध मलाई छाना फूका, छोड़ दिया जब चरने को l सड़क में पागुर करती गौ माँ, ताक रही कट मरने को l राही वाहन सम्हल के निकलें, माता से मत टकराना l भले तुम्हारी अंग भंग हो, सर फूटे या ,मर जाना l कल कोई अफ़सोस न होगा, न ही खबर बने कोई l पशुओं के मालिक यूँ चुप हैं, जैसे मानवता खोई l कभी तुम्हारे बेटे के संग , सड़क हादसा हो जायेगा l तभी तुम्हारे बंद अकल का, दरवाजा खुल जायेगा l इसीलिये हे पशुपालक, तुम गौ माता का मान करो l घर में ही तुम करो हिफाजत, पशुओं का सम्मान करो l |
in कविताएँ