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चलो चलें अब..

अब क्यों ऐसा लगता है कि,
चलो चले अब…
पूरी हुईं मुरादें अपनी
पूरी जिम्मेदारी,
अपने अब तो ताक रहे
पर दूर भी है बीमारी l
सारा कुछ तो निबट गया
अब ,चलोगे कब..चलो चलें अब…

चाय से लेकर खाने तक है
इतनी आश हमारी ,
भार हमारा कठिन हुआ
ज्यों अनसुलझी बीमारी l
रोज कि किच किच बहसा बहसी
अब लगती है भारी,
चलो चलें अब मोह छोड़कर
कर लें अब तैयारी l चलो चलें अब…

मन मे पालें अब विराग,
वानप्रस्थ का ले चिराग,
त्यागे अब माया का जाल l
जीवन की हर उथल पुथल मे,
रखा सभी को है सम्हाल l
कर सुपुर्द अगली पीढ़ी को
ट्रस्टी सा जीवन का हाल l
ख़तम हुआ अब रोल हमारा,चलो चलें अब..

बच्चे संग जब बहू आगई,
आशा के संग ख़ुशी छा गईं,
अहसास हुआ मीठे जीवन का,
मानो दुःख को काल खा गयी l
मुट्ठी भर इज्जत की चाहत,
अपनी थी थोड़ी सी आशा,
चलो चले अब, इसके पहले,
हो उनकी जहरीली भाषा l चलो चलें अब…

मैं वहां हूँ …

कृति-दोष