टोमी छू ….
ईडी,आईटी,सीबीआई
सूंघ सभी के बस्ते भाई ,
जिनके रौब चले थे मुझपर
उन पर चढ़ जा तू…
टोमी छू …
लोकतन्त्र को
भूल जा पगले
जो मै कहता ,
वह तू करले
निर्भय होकर कमर तोड़ दे
और उसकी बाजू
टोमी छू ….
बहुरुपिया न मेरे जैसा
नाली से जो गैस बना दे
स्क्वायर से अंक खींचकर
कालावधि के संत मिला दे
इस पर कोई हंसी उड़ा दे
वह मेरा शत्रू
टोमी छू …
मै करता
जुमलो की बारिस
संविधान की कैंची हरदम
जेब में मै रक्खूं
धर्म के अंधे दंगा करते
स्वाद भी न चक्खू..?
फाल्स कहा या ट्रू
टोमी छू …
हर चुनाव में
नजर है मेरी
जीत तेरी
सरकार है मेरी
मुझे आँख दिखलाने वाले
पर गुर्राना तू
टोमी छू …
अपना बंदा
कुछ भी करले,
अस्मत चाहे किसी की हर ले
न भोंकेगा तू
पर जिधर मेरी
भृकुटी तन जाये
उस पर मेरी छू ..
टोमी छू…