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डालर और रूपया(बघेली)

डालर पंहुचा आसमान मा
रुपिया गिर गै नीचे ,
नीक दिनन के आस मा हम ता
रहि गयन सबसे पीछे  l

का जानी हम डालर सालर
हम किसान के बच्चा ,
राहा, खेत निदाई जानी
बात करी  खर-सच्चा  l

राहा  मा जब मूस चिरैया
सलगे दाना  खाइन .
हारे जिउ,हींसा है उनखर 
मन का बोध लगाई   l

देश मा अईसन मुसबन के
भीड़ बहुत है छाई ,
घुइंस कि नाई मोट मोट हैं
खात हें दूध मलाई   l

उइं मोटगर मुसबन के भईया
कईसन नाम गिनाई  ,
या सांपनाथ वा नागनाथ
सब ता हैं दुखदायी   l

पसुरी धांधर  भीतर घुस गै
तर भूम्भुर जब सुलगै ,
फूट पसीना अन्न बना तब
सूखा बाढ़ मा घुल गै l

तबहूँ  मुसबा कुतुर कुतुर के
लबरी झूठ  बतानी  ,
आपन पिंसिन वेतन खीतिर
खूब करत मनमानी 

रुपियन के खीतिर या दाना
हाट  मा जईसे आबा ,
दोखी डालर रुपिया दाबे
आसमान  का भागा  

करम पीट के बईठ गयन है
जबसे  गिरी  रुपैया  ,
महगाई का भुगतैं  के खातिर
हमिन रहि गयन भईया  l

ध्यान बटा के ढेर बहाना
कब तक हमी बिसरईहा ,
हमरे दिन तऊ ओइन रहिहैं
केतनेऊ  बात बतईहा  l

समझ म आई चाल ढाल
कर केतनओ जुमले बाजी,
को नापै मुसबन के छाती
जब बदी हो रोटी  भाजी  l

धई कानून का खीसा मा
बोटन के खेती करिहैं ,
बोटी-बोटी करके हमरी
आपन  झोरी  भरिहैं 

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