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बेचत बेचत मैं चला

बेचत  बेचत  मै  चला, उपक्रम बचा न कोय l
बेचन  से जो  हो  बचा, बता  दियो  तू  मोय ll
पहिले का था कछु बचा,बचिहै अब कछु नाय l
बेचन  की  हर चीज अब,अम्बानी  लई जाय ll
कृषक  थका  सा चीखता, राजा  के  हर द्वार l
मंत्री   हँसि ठट्ठा   करें , कृषक  खा   रहे  मार ll

राम  नाम  की  चीख  पर, हिन्दू धरम कहाय l
जबरा   मारे   जोर   का, राम  राम  कहवाय ll

धरम  चीख  धरती  पड़ा , रोता  आपा खोय l
मेरे  नाम  से  मर  कटे, मानवता  नहीं  कोय ll
अब  तो  चेतो  राज गण, मद  से  बाहर आय l
पानी  जब  सर से  चढ़ा, जनता देत सिखाय ll

आज की हवा

समस्याओं की बॉलिंग