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राजनीति का मोदीफिकेसन

हमारे देश में क्रिकेट खेल बड़ा ही रोचक और लोकप्रिय माना जाता है जिसमें देश के सभी गणमान्य नेता, नागरिक,छुटभइये और गलीकूचों के लोग समर्पित होकर अलग-अलग माध्यमों से दर्शन लाभ लेकर आनंदित होते हैं राष्ट्र के सभी गम दुख दर्द भूल कर भाव विभोर होकर भगवान से लेकर भारत रत्न तक बना देते हैं आवश्यक रूप से इस खेल का प्रभाव देश के सर्वांगीण क्षेत्र में ही नहीं राजनीति में भी बुरी तरह जड़ें जमा चुका है l
क्रिकेट में खास तौर से दो ही प्रक्रिया है एक बॉलिंग और दूसरा बैटिंग I इसमें जो जितना दूर फेंक सकेगा उसे उतना ही महान होना होगा चाहे वह सचिन हो या धोनी आजकल विराट कोहली और भी बहुत से लोग महान हो चुके हैं शेष कतार में है l यहां तक कि पाकिस्तान के बॉलर शोएब अख्तर को भी अति गतिशील बॉलर कहकर प्रशंसा के पुल बांधे गए थे l
वैसे तो भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है किंतु अब सामान्य ज्ञान का विषय बनकर रह गया है क्योंकि इस हॉकी जैसे खेल में फेंकने जैसा कुछ है ही नहीं I राष्ट्र के समर्पित क्रिकेट खेल की महिमा तो देशभक्ति से जोड़कर राजनीति का मोडिफिकेशन कर दिया गया है, हम इसे आज के परिप्रेक्ष्य में मोदीफिकेशन भी कह सकते हैं I यह प्रभाव इतना वायरल है कि राष्ट्र की मूल भावना,इतिहास,संवैधानिक तथ्य एवं विज्ञान गणित तक का मोदीफाई हो गया है I हमारे वैज्ञानिक भी किंकर्तव्य विमूढ हो गए हैं कि नाली से गैस की ऊर्जा,रडार की प्रक्रिया जैसी महान अन्वेषणो को मुख्य धारा में कैसे मॉडिफाई करें हालांकि राष्ट्रीय मीडिया का कलेवर पूरी तरह से मॉडिफाई हो चुका है बस परेशानी सोशल मीडिया से है,जिसका मोडिफिकेशन होना शेष है l
हमने बहुत गर्व के साथ वैदिक विज्ञान की पूंजी संजोकर रखा है जिसके कारण हिंदू धर्म को वैश्विक करने का अथक प्रयास करते हुए विश्व गुरु बनने के बहुत निकट पहुंच चुके है,लेकिन आज भी यक्ष प्रश्न परेशान कर रहा है कि कुछ जातियां मुख और भुजा से जन्म करा दी गई है इसका एनाटॉमी में मोडिफिकेशन करें तो कैसे…? मुखज वैज्ञानिक श्रावण-श्वान की भांति अभी भी फंसे पड़े हैँ l
कुछ नाशपीटों (नास्तिकों)ने कह डाला कि भगवान राम थे ही नहीं, रामेश्वरम पुल की भौगोलिक वैज्ञानिकता ने नल नील की गाथा को निराधार कर दिया l हाथ कंगन को आरसी क्या, समझने को तैयार ही नहीं हैँ l राजनैतिक बयान से बजरंगबली को पिछड़ा दलित वनवासी न जाने क्या-क्या कह डाला वह भी नेतृत्व गरिमा के साथ, सचमुच बजरंगबली की महिमा सूरज को लील लेने की जानकारी से जलन होती है कि कथित दलित आदिवासी होकर भी इतना बुद्धिमान, शक्तिशाली रहा होगा l फिर भी हमें क्या…मन की बात है तो क्यों विरोध करें ठीक ही होगा l बजरंगबली का जयकारा तो चुनाव को भी प्रभावित कर सकता है l बजरंगबली के इस तथ्य पर हंसी आ जाए तो रोक लीजिएगा क्योंकि देश का अपमान हो सकता है l
देश का इतिहास सिंधु घाटी के सभ्यता के गर्भ से निकला है यह केवल सामान्य ज्ञान की बात हो सकती है जिसके आधार पर पढ़ लिखकर प्रतियोगिता पास की जाती है किंतु अब शिक्षा का स्तर में भी मोडिफिकेशन किया जाने वाला है कि जल्दी ही आपको शेषनाग पर धरती के टिकने का भूगोल पढ़ाया जाएगा l इतिहास में चंद्रगुप्त मौर्य अशोक महान बुद्ध केवल वैदेशिक नीति के हिस्से होंगे और देश के आजादी की तारीख बदलकर चापलूस पुरस्कृत होंगे l इसके अलावा हमारे समाज के जानी दुश्मन अहिंदू होंगे अर्थात जो हिंदू नहीं वे देश के गद्दार हैं उनको गोली मार दी जाएगी अनेकता में एकता हिंद की विशेषता का गाना मशहूर करके भावुक होकर गाया जाएगा l बेटियां लाडली बहन का संबोधन देते हुए उन्हें रेवड़ियों बांटी जाएंगी और उन्हें देवी पूज्य मानकर उनका शारीरिक शोषण राजनेता भी अनवरत कर सकेंगे इस प्रकार देश की आजादी का प्रतीक और फादर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जय जयकार का घोष किया जा सकेगा l बात क्रिकेट से शुरू हुई थी राजनीति पर पहुंच गई यह राजनीति का मोदीफिकेशन है जो न कराये कम है l इस व्यंग को दिल से न लगावें अन्यथा नाहक परेशान होंगे l

Written by B.L.RAI

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