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शब्दों के बाण चलाएंगे

तानो के तीर बहुत झेले अब
शब्दों के बाण चलाएंगे
ज्यों शिक्षित होना शुरू हुए ,
वो आहत हो,मर जायेंगे
शिक्षित होकर हुए संगठित
संघर्षों के बादल छायेंगे
पोथी ,कांवर , कथा, हवन सब
अन्धापन कहलायेंगे
मील का पत्थर बनकर खुद का
जब इतिहास बनाएंगे
तानो के तीर बहुत झेले अब
शब्दों के बाण चलाएंगे

शिखा बांध कर बैठ शिखर पर
षड़यंन्त्रों के ताने बाने
पोथी के पिघले शीशे से
चले हमारा भाग्य बनाने
ताड़ लिया जिसने कपटी को
शिक्षा सागर पार किया
अब गूंज रही उसकी दहाड़
जो दूध शेरनी का पीया
आगे मटकी पीछे झाड़ू
नहीं भुला हम पाएंगे
तानों के तीर बहुत झेले अब
शब्दों के बाण चलाएंगे

तुम दीप हमारे चुरा ले गये
सुनसान अँधेरी रातों में
नादानी तो तुम कर बैठे
अब सूरज है इन हाथों में
अब फेंक भी दो मनके गुबार
सोचो इनकी ,जब हो दहाड़
अंधविश्वासों के चट्टान ढहेंगे
तब टूटेंगे भ्रम के पहाड़
समय आ गया बदलो खुदको
अब आगे सह नहीं पाएंगे
तानों के तीर बहुत झेले अब
शब्दों के बाण चलाएंगे

मेरे वोट पर राज तुम्हारा
खूब सेंक लीअपनी रोटी
हमें लड़ाकर जात धरम में
बाकी रही लँगोटी
सिद्ध किया खुद को तपकर
तब बढ़ा आत्म विश्वास
कोटेवाले ताने सुन कर
मेरिट बन कर खास,
हिन्दू मुस्लिम के झगड़ों में
अब और न बली चढ़ाएंगे,
तानों के तीर बहुत झेले अब
शब्दों के बाण चलाएंगे

सोचा ..विश्वगुरु बन जाऊं

साहेब बतायेंगे