in

श्राद्ध

जियत  बाप  भूखन मरै ,मरे  श्राद्ध  मा  खीर I
पितृ पक्ष  के  आड़  मा ,पकवान  पके  गंभीर II
पकवान  पके  गंभीर ,विप्र  सब छक के खावें I
मजाल  कहाँ पीतर कभी,लौट धरा  पर आवैँ II
पूर्वज  सब   बैकुंठ  से ,  देख   बहावत  नीर  I
धन  दौलत  पर  लड़ रहे, उनके बालक वीर II
उनके  बालक वीर, अदालत  मे  कर  झगड़ा I
हलाल  करें  वकील कि क्लाइंट खूबै  तगड़ा II
श्राद्धकर्म  मे  विप्रजन , अंश  भगत  लै  काग I
कुसंस्कार  के  भोग  पर  धन  दौलत है  दाग़ II
धन  दौलत  है दाग़, छूटाये  मरते  दम न छूटै I
न्याय, बात  तो  दूर की, सब खीसा  भर लूटैं II

कर्ज की खुद्दारी

सुरक्षित रहिये