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संकट बदला अवसर में ..

गत उन दिनों महामारी की कहर से जूझ रहा था बीमारी उसे नही,पूरी दुनिया को थी किन्तु लॉकडाउन  की परिस्थितियों ने उसे तोडना शुरू कर दिया था l एक ठेले में वह कभी सब्जी कभी फल सजाकर मंडी में लाकर बेचता जो भी बिक्री होती उससे अपनी पूंजी बचा कर दुसरे दिन फिर वही सब्जी या फल खरीद कर ठेले में घूम घूम कर बेचता इसी से उसका गुजारा चल रहा था कि लाक डाउन कर्फ्यू की घोषणा हो गयी l

       फल जो बेचने के लिए रखे थे घर में ही सड़ जाने के डर से और दैनिक जीविका की चिंता में ठेला सजाकर  मंडी पंहुचा ही था कि पुलिस वालों की टोली में से कुछ ने आम उठा लिए और आगे बढ़ने को कहा ,आगे बढ़ते ही प्रशासन की बड़ी टोली निकली l पुलिस और प्रशासन ने मिल कर मेरा ठेला पलट दिया , इतना मारा कि वह बहुत देर तक वहीं रोता रहा l मेरे क्रोध की सीमा बुरी तरह पार कर गयी ,जब किसी से जीतना असंभव होता है तो क्रोध स्वयं  पर ही उतरता है l पलटा हुआ ठेला के पास जाकर बुरी तरह अपने भाग्य को कोषते हुए सारे फलों को कुचल दिया एक पल को लगा कि ठेले को पुल से गिरा कर  खुद को भी ख़तम कर लूं ,क्यों कि सवाल खड़ा था कि अब  क्या करूँगा सारी  पूंजी ख़त्म हो गयी l जैसे तैसे घर में अन्न का दाना आ ही रहा था उसका झिरा भी नष्ट कर दिया इन निष्ठुर  प्रशासन और पुलिस वालों ने l

       क्या ठेले से फल खींचने वाले या पूरे ठेले को पलट देने वालों को भगवान ने ह्रदय नही दिया होगा या उनका अपने  परिवार के प्रति कोई भाव तो होगा, कैसे गरीब की जीविका चलेगी कैसे गरीब संघर्षों से लड़ता होगा,भला ऐसी सोच पर ह्रदयहीनों से दयाभाव का कैसा सरोकार l यही सब सोचकर  बेचारा असहाय भाग्य पर रोते हुए वापस घर नही जा सका l रात भर वही मंडी के कोने पर पडा रहा और उस सदमे ने उसे एक भयंकर निर्णय में पहुचा दिया कि परिवार जनों का बोझ वह अब नही उठा पायेगा इस लज्जा से खुद को मृत्यु देवता के हवाले करेगा l

                सुबह हुई रात भर पत्नी ने पति की प्रतीक्षा करते हुए सुबह ढूंढते हुए मंडी के रास्ते पहुची तो पलटे हुए ठेले को देखकर ठिठकी और पूछताछ कर सारी कहानी जानकर अत्यंत दुखी हुई l समझ तो गयी अपने पति के दुःख दर्द को और लगी खोजने ,आत्महत्या की संभावनाओं के साथ कहीं कुआँ ,पटरी,सड़क या पुल के नीचे क्योंकि चिंता में बुरी संभावनाएं ही जादा परेशान करती हैं l

        एक लाल रंग का कपडा सा कुछ दिखा दूर झाड़ी के किनारे वही जाकर देखा तो विक्षिप्त लुटा-पिटा सा बिखरे बाल आँखें पथरायी दिख रही थी जो बुरे  हादसे को बयां कर रही थी, पति को पाकर लिपट कर रोने लगी,पत्नी बोली आप के हर दुःख में  मै साथ हूँ ,अब घर चलिए बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल हुआ है l घर पहुच कर रोते बच्चों को शांत कराया l

        बेटी ने पिता की गोद में सर रख कर कहा पिताजी आप की जिन्दगी हमारे लिए बहुत कीमती है हम सब आपके बिना जीवित नही रह सकते, हम फिर से नई जिन्दगी की शुरुआत करेंगे l

पिता ने कहा – बेटी अब कुछ भी नही बचा…l 

बेटी बोली,पिताजी, इस लाक डाउन के दौरान केवल  आन लाइन पढाई चालू है जिसके लिए आप मुझे मोबाईल खरीदने के लिए कुछ पैसे देते रहते थे उसी पैसों से हम नई जिन्दगी की शुरुआत करेंगे l

         माँ ने घर में कपडे सिलने,कज बटन लगाने ,मास्क बनाना शुरू किया बेटी ने बाजार का काम सम्हालना शुरू किया पिताजी ने तो किराना ,आनाज, घर पहुँच सेवा का काम पूरी कालोनी में शुरू कर दिया है  जिससे छोटी किराना की दुकान भी अब हो गयी l  जिससे हमारे संकट और अपमान भरी जिंदगी को हम सोच कर आज भी सिहर उठते हैं l बेटी ने हमें जीने का साहस ,ऊर्जा ,नयी राह दिखाया जिसका संदेश है कि “कुछ बुरे लम्हों से ख़तम होती नही जिन्दगी, शायद खुशनुमा होती है वहीं से “l इस महामारी ने हमसे बहुत कुछ छीन लिया लेकिन हमें सीखने को मजबूर भी कर दिया कि जीविका के लिए संकटकाल को अवसर में बदल  सकें l

खीर पूड़ी –

चौपट राजा