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सांसों का मोल

चलो अभी बाक़ी हैं साँसें ,

थोड़ी  दौड़  लगा ने को  l

सुस्ताने में कही देर न हो ,

वापस  घर  में  आने  को l

गुजर चुके जीवन के लम्हे ,

लड़ने   और  लड़ाने   में l

काश , हमारी  मुट्ठी  में  हो ,

बीते  कल  को  लाने  में  l

कल को जब हम बीत चुकेंगे,

चर्चा   बन   जायेंगे  l

संतानों  के  प्रश्नोत्तर ,

इतिहास में गुम हो जायेंगे  l

विधाता

बुजुर्ग..