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सुरक्षित रहिये

घर मे खूब सुरक्षित रहिये…
बाहर खड़ा कोरोना है,
संकटकाल मे झेलते रहिये…
जिसको जो भी होना है l

शाह से लेकर मोदी तक
स्मार्ट गिरी वो नही मानता…
पूरी दुनिया हिला रखी है
निजी-पराया नहीं जानता l

अंधे पन की होड़ मच गईं
धरम के ठेकेदारों मे ,
लाशों की थी ढेर लग गईं
मरघट की गलियारों मे l

थकी हुईं मरघट की ज्वाला
अब भी हमें डराती है ,
काश कोई अब लहर न आये
मृतकों की याद दिलाती है l

बंद लिफाफे मे रखप्रियजन
चेहरा दूभर है दिखना,
दर्द किसी के नहीं सिमटते
कलम रोकती है लिखना l

संस्कार की ताक मे मुर्दे
यत्र तत्र ही दफ़्न हुए,
अपनों को ना देख सके
स्मृति मे कब स्वप्न हुए l

अपनी जान बचा कर बेटा
मरे बाप को छोड़ दिया ,
मरने का तो खौफ ही था
फिर दवा खर्च ने तोड़ दिया l

गंगा माँ भी तड़प उठी
तट पर दफनाई लाशों से,
कफन खींच छिप गये आंकडे
मुक्ति मिली उपहासों से l

बहुत खो चुके अपनों को
खुब हिन्दू मुस्लिम खेल चुके,
शिक्षित हों लें रोजगार
अब करें तरक्की बिना रुके l

क्यों वैक्सीन से दूर भागते
अब किस बात का रोना है,
मास्क लगा सेनेटाइज कर लो
हाथ हमेशा धोना है…l

श्राद्ध

बाल कविता