इतना न छुपो कि ,
खुद को न ढूंढ पाओ
खुद्दारी इसी में है कि ,
खुद से जो सोचा है
करके दिखाओ l
जिन्दगी के लम्बे हैं ,
टेढ़े मेढ़े रास्ते ,
गिरकर सम्हल लो
यही तो सीख है
तुम्हारे वास्ते l
इंसान बन के रहना
जमाने में अब जरूरी है ,
आँखों से काजल चुराने में भला,
ऐसी भी क्या मजबूरी है l
खुदा से डरो खुद को
नीचे न गिराओ ,
जिन्दगी “सम्बन्ध” है
इस पर दांव न लगाओ l
जुबान में गाठें नही लगतीं
दिल में गाँठ बांधकर ,
जिंदगी जो खूबसूरत है
उसे नरक न बनाओ l
कुछ तो होती होगी
दिल में सरगोसी ,
मुह चुराने से
क्या फायदा ,
कर्ज ही तो है…..
धीरे धीरे पटाओ … l