जलता रावण पूछ रहा तुममे से कोई राम है क्या…? कीड़ों सा कुछ कुचल गए नर संहार में निकल गए बे हिसाब मरने वालों का कोई बताये नाम था क्या … ? स्त्री की मर्यादा में थी पौरुष उस बनवासी की अबला नारी विकृत हुई वीरों का यह काम था क्या …? यदि मारा मुझको पुरुषोत्तम सदा दशहरा में जलने को वीर पुरुष की संज्ञा लेकर वार करे जो , राम है क्या …? पहले धोओ जाति भेद ईर्ष्या के अपराध बोध ऋषि शम्बूक को लील गए देव पुरुष की शान है क्या…? अहंकार का दोष लादकर खलनायक बना मुझे चमचों से घिर कृत्य किये दोषी का सम्मान ही क्या …? जलता रावण पूछ रहा तुममे से कोई राम है क्या पहले मन के दुर्गुण मारो स्वांग रचाना काम है क्या …? |
in दलित कविता