सुनो ब्राम्हण …
तुम्हारे मकडजाल से
हमें ही फंसाना,
चमत्कारी कथाओं से
सबको डराना ,
तुम्हारी अपनी विधा
अपनों से लड़ाना ,
माथे के साइन बोर्ड में
श्रेष्ठ खुद को बताना,
जनेऊ को कान में चढ़ा
सत्य को झुठलाना,
खुद को मुह से जनाकर
एनाटोमी बतलाना ,
एको अहम् द्वितीयो नास्ति
स्वार्थदर्शन सिखाना,
मनु के कायदे को आजीवन
अपना फायदा बनाना,
अपनी चुटिया से स्वर्ग की
ऊचाई नापने का फन,
सब समझ में आ गया है
अब समझना तुझे है,
कि हमें भी …
फन को कुचलना
आ गया है….