.कांग्रेस मुक्त भारत की
अभिलाषा लिया था ,
अब देश मे मजबूत
विपक्ष लाना चाहता हूँ l
हिन्दू राष्ट्र का बिगुल
फूंका जरूर था, अब,
देश को धर्मनिरपेक्ष
बनाना चाहता हूँ l
बाबरी मस्जिद की जगह
मंदिर की नीव डालकर,
अब “गड़े मुर्दे क्यों उखाड़े”
सन्देश देना चाहता हूँ l
शिक्षा, अर्थतंत्र चरमरा जाये
बेरोजगार पकौड़े तलें ,
“कड़े सवाल पहले करो” कह
विश्वगुरु बनना चाहता हूँ l
लोकतंत्र चाहे जमींदोज हो
विदेशों मे डंकापति बन,
फरेबी बहुरुपीये सा
डंका बजाना चाहता हूँ l
मेरे बहुरुपिये खासियत से
अचम्भा होगा मित्रों…,
हर चेहरे से रोना हँसना
ठहाके लगाना चाहता हूँ l