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मामा की रोटी

आम आदमी पहन लँगोटी
अब खाये मामा की रोटी
थाली से गायब थी सब्जी
दाल कटोरी हो गई छोटी

माँ की अस्मत बचा न पाते
छाती पीट बचाओ बेटी
सड़े अन्न का आटा खाकर
हुई सभी की तबियत खोटी

देश की बेटी बैठ सड़क पर
दुष्कर्मी सांसद पर रोती
मामा अपना ढोल पीटते
सेंके राजनीत की रोटी

पथराई आँखों को लेकर
यहाँ उज्जवला धुआं फूकती
पड़ा सिलिंडर चिढ़ा रहा है
महगाई भी खून चूसती

हुमच हुमच के मामा बोले
खालो ये मामा की रोटी
चाहे जितना तुम चिल्लाओ
मिलेगी ये हर रोज से छोटी

दिया हूँ मैं

मुर्दों को गीत सुनाता हूँ